Next Article जिन्होंने पिलाया भक्तिरस,उन्हें हमने क्या दिया Previous Article अमेरिकी विद्यालयों में कोल्डड्रिंक्स पर प्रतिबंध दिन में सोना रात्रि में जागना माने स्वास्थ्य को खोना दिन कार्य करने के लिए है और रात्रि विश्राम के लिए। दिन में सोने से त्रिदोष (वात, पित्त व कफ) प्रकुपित हो जाते हैं, जबकि रात्रि में सोने से आलस्य दूर होता है, पुष्टि, कांति, बल और उत्साह बढ़ता है तथा जठराग्नि प्रदीप्त होती है। ʹन्यूकेसल विश्वविद्यालयʹ के शोधकर्ताओं ने 20 से 24 आयुवर्ग के पुरुषों पर किये अध्ययन से निष्कर्ष निकाला कि पूरी रात जागकर कार्य करना, देर रात की पारी में कार्य करना या फिर नींद का पूरा न होना पेट में अल्सर के खतरे को बढ़ाता है। रात्रि में जागते रहने से स्वभाव में चिड़चिड़ापन, बेचैनी, एकाग्रता की कमी, बदन व सिर में दर्द, भूख कम लगना, थकान, आँखें भारी होना, खून की खराबी, अजीर्ण, त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ना, माइग्रेन, कार्यक्षमता घटना आदि परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं। 9 से 10 बजे के बीच सोना और 3 से 4 बजे के बीच जागना सर्वांगीण विकास की कुंजी है। Next Article जिन्होंने पिलाया भक्तिरस,उन्हें हमने क्या दिया Previous Article अमेरिकी विद्यालयों में कोल्डड्रिंक्स पर प्रतिबंध Print 2101 Rate this article: 4.3 Please login or register to post comments.