Next Article दिवाली अनुष्ठान शिविर 2018 Previous Article जवानी में कुछ नहीं करेंगे तो बुढ़ापे में क्या पुरुषार्थ होगा कौन सुखी कौन दुःखी Who is sad and who is Happy मैंने बचपन में पाठ्य पुस्तक में पढ़ा था तीसरी क्लास में जब पढ़ता था तब की बात है .. जय रामजी की ! एक सदा सुखी और दूसरा सदा दुःखी ..दो मित्र थे । सदा सुखी वाला हमेशा हँसता रहता था, जो हुआ अच्छा हुआ भला हुआ, अच्छा हुआ भला हुआ,मेरा सौभाग्य ! और सदा दुःखी वाला सदा सिर कूटता रहता .. हाय रे मैं तो आत्महत्या कर लूंगा, अब मेरे से नहीं जीया जायेगा ! हाय रे मैं दुःखी हूँ, हाय रे हाय,हाय रे हाय! दोनों क्लासफेलो थे, दोनों पढ़े और समय पाकर एक रेलवे का ड्राइवर हुआ और दूसरा दुकानदार बना। ड्राइवर सदा सुखी रहने के विचार करता था और दुकानदार सदा दुःखी रहने का विचार करता था । दुकानदार की दुकान तो अच्छी थी उसके बाप-दादों की दी हुई, ठंडी ठंडी हवाएँ खाता था ,धंधा करता था लेकिन सिर कूटता रहता था क्या करे ! पड़ोसी की ग्राहकी ज्यादा है क्या करे ! उघराणी नहीं आती, क्या करे ? लोग तो करोड़पति है और हमारे पास तो खाली 2-4 लाख है, क्या करे! ऐसे क्या करे,क्या करे करके रोता था और अपने मित्र के पास जाता कभी कभी… बोले, “दुनिया बड़ी खराब है ! कुछ अच्छा नहीं…मैं तो आत्महत्या करके मर जाऊँगा ,अब मुझे बड़ी अशांति है …मैं तो नहीं जी सकता !” मित्र बोलता है “अरे, तू बढ़िया विचार कर , तेरा तो सौभाग्य है ऐसा क्यों ?” बोले , ” क्या सौभाग्य ? तुम्हारी भी देखो क्या जिंदगी है ,तुम रेलवे के ड्राइवर !छी !सारा दिन कोलसों के बीच ! गरम गरम बॉयलर के सामने ! क्या तुम्हारी जिंदगी है ! तुम भी दुःखी हो यार !” उसने कहा “मैं तो सदा सुखी हूँ ! अभी इंजन में कोलसे हेल्पर ने डाल दिया , हम ने जरा यूँ किया.. इंजन चालू.. दस मिनट में दूसरा स्टेशन, पचास मिनट में तीसरा स्टेशन.. बिना खर्चे बिना पैसे एक से एक स्टेशन घूमते जाते, ताजी हवा खाते जाते और ऊपर से पगार मिलता है! दौड़ती गाड़ी और लोग बोलते है ड्राइवर साहब गाड़ी ले आया .. हकीकत में तो ड्राइवर को गाड़ी ले जाती है लेकिन वो तो ड्राइवर गाड़ी ले आया !.. हमारा नाम हो रहा है ! जय रामजी की ! मुझे तो मौज ही मौज है ! ” तो जब भी वो दुःख की बात करे तो वो सुख बनानेवाला सुख की ही बात करे ! एक दिन सुख बनानेवाले के जीवन में बड़ा भारी दुःख आ गया, फिर भी वो दुःखी नहीं हुआ । रेलवे इंजिन ड्राइवर था, कहीं पटरीयाँ क्रॉस कर रहा था, किसी कारण से उसका पैर कट गया इंजिन के नीचे । लंगड़ा हो गया । अस्पताल में पहुँचा तब वो दुःखी रहने वाला पूछा “लो ! अब तो सुखी हो तुम ? बोलते हो सदा सुखी सदा सुखी ..अब क्या सुख मिला ? पैर कट गया !” बोले – ” पैर कट गया तो क्या हो गया ? दो पैर में से एक ही कटा है, एक तो भगवान ने रखा है !” जय रामजी की! ” और घर में रहता था इतवार के दिन, दो पैर होते तो कुटुंबी बोलते- आटा पीसा के लाओ, सब्जी ले आओ साईकल चला के ! अब तो वो ही आटा पिसाते, वो ही सब्जी लाते है.. मैं तो आराम से भोजन करता हूँ ! और देख दो पैर थे तो दो जूते पहनने पड़ते थे । अभी तो एक ही में ही काम चल रहा है !” उसने अपने दुःख को बढ़ाया नहीं, बेवकूफी करके “हाय रे हाय पैर कट गया मैं आत्महत्या कर लूँगा! हाय रे हाय ये हो गया “…नहीं !..उसने तो उसको भी संतोष दिया जो दुःखी रहता था उसको भी दुःख में सुखी रहने का उपदेश दिया ! तो पाठ्य पुस्तक में ऊपर से हेडलाईन में था- पग जेवो पग गयो, हवे तू लंगड़ो थयो, हवे कहे छे के हूं सुखी छूं पग जैसा पग गया ,पैर जैसा पैर कटा है,तू लंगडा हुआ फिर भी तू बोलता है सुखी ? ऐसा करके पाठ का क्रम चलता है। विचारों से आदमी मित्र बना लेता है , विचारों से ही शत्रु बना लेता है, विचारों से ही सुख बना लेता है, विचारों से ही दुःख बना लेता है, विचारों से ही पाप बना लेता है, विचारों से ही पुण्य बना लेता है.. और सत्संग के विचार करके अपने हृदय को ऐसा लायक बना दे कि अपने को परमात्मा बना दे, अपने आप को महान बना ले! ऐसे ही कर्मों से आदमी बंधन बनाता है, कर्मों से ही दुःख बनाता है ,कर्मों से ही चिंता बनाता है, कर्मों से ही शत्रु बनाता है, कर्मों से ही परेशानी बनाता है और कर्म जब बढ़िया करता है तो कर्मों से अपने आप को भगवान को पाने वाला बना देता है ! Next Article दिवाली अनुष्ठान शिविर 2018 Previous Article जवानी में कुछ नहीं करेंगे तो बुढ़ापे में क्या पुरुषार्थ होगा Print 2860 Rate this article: No rating Please login or register to post comments.